- भारतीय संविधान के तहत एकीकृत न्याय व्यवस्था की स्थापना की गई है, जिसमें शीर्ष पर सर्वोच्च न्यायालय व उसके अधीन उच्च न्यायालय तथा अधीनस्थ न्यायालयों की श्रेणियां हैं।
- न्यायपालिका की यह एकल प्रणाली, भारत सरकार अधिनियम, 1935 से ली गई है।
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना 26 जनवरी, 1950 को हुई थी, जबकि उद्घाटन 28 जनवरी, 1950 को किया गया था।
- भारतीय संविधान के भाग 5 के अंतर्गत अध्याय 4 में सर्वोच्च न्यायालय से संबंधित प्रावधान अनुच्छेद 124 से 147 तक में उल्लिखित हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों की कुल संख्या वर्तमान में 34 (33+1) है।
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। " मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के एवं उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों से परामर्श करने, जिन्हें राष्ट्रपति इस प्रयोजन हेतु आवश्यक समझे, के बाद करता है।
- इसी तरह सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति भी होती है।
- अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश का परामर्श आवश्यक है। यहां मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से तात्पर्य वस्तुतः मुख्य न्यायाधीश के साथ सर्वोच्च न्यायालय के 4 अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों के कॉलेजियम के परामर्श से है।
- सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए किसी व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए। * उसे किसी उच्च न्यायालय का या ऐसे दो या अधिक न्यायालयों का लगातार कम-से-कम पांच वर्ष के लिए न्यायाधीश होना चाहिए, या / उसे किसी उच्च न्यायालय या ऐसे दो या अधिक न्यायालयों में मिलाकर कम-से-कम 10 वर्ष तक अधिवक्ता होना चाहिए या / राष्ट्रपति के विचार में वह पारंगत विधिवेत्ता हो।
- सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश होने के लिए संविधान में न्यूनतम आयु का उल्लेख नहीं है।
- सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि संसद कर सकती है।
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को राष्ट्रपति शपथ दिलाते हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश राष्ट्रपति को संबोधित कर अपना पद त्याग सकते हैं।
- अनुच्छेद 124 (4) के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश को उसके पद से तब तक नहीं हटाया जाएगा जब तक सिद्ध कदाचार या असमर्थता के आधार पर ऐसे हटाए जाने के लिए संसद के प्रत्येक सदन द्वारा अपनी कुल सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थित और मत देने वाले वाले सदस्यों के कम-से-कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा समर्थित समावेदन, राष्ट्रपति के समक्ष उसी सत्र में रखे जाने पर राष्ट्रपति ने आदेश नहीं दे दिया है।
- न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 में कुल 7 धाराएं हैं, जिसमें उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को पद से हटाए जाने हेतु समावेदन और उन पर लगाए गए कदाचार या असमर्थता के अभियोग की जांच एवं उसे सिद्ध करने की प्रक्रिया का विनियमन किया गया है।
- उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है।
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश का वेतन संसद द्वारा निर्धारित होता है।
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश सेवानिवृत्ति के बाद भारत के किसी भी न्यायालय में वकालत नहीं कर सकते हैं।
- अनु. 127 के तहत सर्वोच्च न्यायालय के किसी सत्र के लिए न्यायाधीशों का कोरम पूरा करने हेतु तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है।
- अनुच्छेद 145 (3) के तहत सर्वोच्च न्यायालय में संविधान के निर्वचन से संबंधित मामले (या राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 143 के तहत सर्वोच्च न्यायालय से मांगे गए परामर्श) की सुनवाई के लिए न्यायाधीशों की संख्या कम-से-कम पांच होनी चाहिए। इसे संविधान पीठ के रूप में अभिहित किया जाता है।
- संविधान के अनुच्छेद 129 के अनुसार, उच्चतम न्यायालय अभिलेख न्यायालय है तथा उसे अपने अवमान के लिए दंड देने की शक्ति है।
- अभिलेख न्यायालय का अर्थ है कि इसके सभी निर्णयों का साक्ष्यात्मक मूल्य होता है।
- अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र और राज्यों के बीच, दो या अधिक राज्यों के बीच तथा भारत सरकार और किसी राज्य या राज्यों और दूसरी ओर एक या अधिक अन्य राज्यों के बीच होने वाले विवादों का निर्णय करने की सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति मूल (आरंभिक) अधिकारिता के अंतर्गत आती है।
- अनु. 132-136 तक सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार का उल्लेख किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 136 के अंतर्गत अपील के लिए उच्चतम न्यायालय की विशेष इजाजत का प्रावधान है।
- अनुच्छेद 137 के अंतर्गत अपने निर्णयों या आदेशों का उच्चतम न्यायालय द्वारा पुनर्विलोकन (Review) किया जाता है।
- संविधान की व्याख्या करने का अंतिम अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को है।
- इस शक्ति के तहत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्र व राज्य दोनों स्तरों पर विधायी व कार्यकारी आदेशों की सांविधानिकता की जांच की जाती है।
- अधिकारातीत पाए जाने की स्थिति में इन्हें अविधिक, असंवैधानिक और अवैध घोषित किया जा सकता है।
- सर्वोच्च न्यायालय को भारतीय संविधान का संरक्षक तथा अभिभावक कहा जाता है।
- अनुच्छेद 138 के तहत सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने का अधिकार संसद को है।
- अनुच्छेद 139-क (2) के तहत देश के किसी उच्च न्यायालय में चल रहे मामले/वाद (Case) को किसी अन्य उच्च न्यायालय में भेजने का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को है।
- भारतीय संविधान के मौलिक ढ़ांचे या आधारिक संरचना (Basic Structure) के सिद्धांत का स्रोत न्यायिक व्याख्या है।
- केशवानंद भारती (1973) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के मौलिक ढांचे का सिद्धांत प्रतिपादित किया। इसके तहत संविधान के किसी भी संशोधन की उच्चतम न्यायालय द्वारा समीक्षा की जा सकती है, यदि वह संशोधन संविधान के मौलिक (आधारभूत ढांचे का उल्लंघन करता है।
- संविधान के अनुच्छेद 141 के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित विधि भारत के सभी न्यायालयों पर आबद्धकर होती है। अनुच्छेद 142 में उच्चतम न्यायालय की डिक्रियों और आदेशों के प्रवर्तन और प्रकटीकरण आदि के बारे में आदेश संबंधी प्रावधान हैं।
- अनुच्छेद 143 के अंतर्गत राष्ट्रपति विधि या तथ्य के व्यापक महत्व के प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श ले सकते हैं।