भारत एक ऐसा देश है जिसे उसकी सांस्कृतिक धरोहर के लिए पूरे विश्व में पहचाना जाता है। यहां की समृद्ध और विविधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत न केवल बातचीत का विषय है, बल्कि उसे जीवंत रूप में बनाए रखने की एक अद्वितीय क्षमता है। भारतीय लोकनृत्य इसी सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो न केवल रंग-बिरंगे नृत्यों का एक संग्रह है, बल्कि भारतीय जनता की भावनाओं, समृद्धि और एकता के प्रतीक भी है।
भारतीय लोकनृत्य अपनी समृद्ध इतिहास से बहुतेरे जगहों पर प्रशंसा पाने के लिए पूरे विश्व में मशहूर है। यहां के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में निर्मित हुए अनेक नृत्य रूपी रत्न विविधताओं को प्रदर्शित करते हैं, जिनमें से प्रमुख हैं भारतनाट्यम, कथक, भांगड़ा, कच्छी घोड़ी, ओड़ीसी, कुछिपूड़ी, गरबा, लवणी, बिहू, आदि।
इन नृत्यों का मूल उद्देश्य न केवल मनोरंजन करना होता है, बल्कि इन्हें एक सामाजिक, आध्यात्मिक, और सांस्कृतिक सन्देश को संवाहित करने का माध्यम भी माना जाता है। यहां के नृत्य रंगमंच पर एक कहानी सुनाते हैं, जो समाज की मुख्य मुद्दों, धार्मिक मान्यताओं, प्रकृति के साथीत्व के बारे में हृदयस्पर्शी बातें करती है। इन नृत्यों के माध्यम से संस्कृति, प्रेम, युद्ध, खुशहाली, और जीवन की विभिन्न पहलुओं को दर्शाया जाता है।
भारतीय लोकनृत्य के महत्वपूर्ण तत्व रंग, ताल, और भाव हैं। इन नृत्यों में रंगों का उपयोग एक प्रमुख भूमिका निभाता है, जहां विभिन्न वस्त्र, आभूषण, और वास्तविकता के माध्यम से भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं का प्रतीक बनता है। ताल और लय भारतीय लोकनृत्य के जीवनदायी हिस्से हैं, जहां मधुर संगीत और तालमेल संगीत के बीच नृत्य की अद्वितीय संगति का निर्माण करती हैं।
भाव भारतीय लोकनृत्य का आत्मा होते हैं। यहां के नृत्यगायक, नृत्यांगन और नृत्यार्थी अपने अंतरंग भावों को शुद्धता से प्रकट करते हैं। भावों के माध्यम से वे भारतीय साहित्य, मानसिकता, और रस को समझने और अभिव्यक्त करने का आदर्श देते हैं। नृत्य के माध्यम से वे खुद को दिव्यता और उच्चता के एक अद्वितीय स्थान पर ले जाते हैं, जहां वे दर्शकों के आत्मा के साथ संवाद करते हैं।
भारतीय लोकनृत्य के नाटकीय और तात्कालिक आयाम इसे एक अद्वितीय सांस्कृतिक विरासत बनाते हैं। यह न केवल आज के पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ता है, बल्कि उसे उसके मूल्यों, अभिव्यक्ति के ढंग और सामाजिक संदेशों के साथ परिचित कराता है। यह एक सांस्कृतिक विरासत है जिसे हमेशा से जीवित रखना आवश्यक है।
राज्य और उनके लोक नृत्य
- आंध्रप्रदेश - कुचीपुड़ी, घंटामरदाला, ओट्टम थेडल, वेदी नाटकम।
- असम - बीहू, बीछुआ, नटपूजा, महारास, कालिगोपाल, बागुरुम्बा, नागा नृत्य, खेल गोपाल, ताबाल चोनग्ली, कानोई, झूमूरा होबजानाई।
- बिहार - जाट– जाटिन, बक्खो– बखैन, पनवारिया, सामा चकवा, बिदेसिया।
- गुजरात - गरबा, डांडिया रास, टिप्पनी जुरुन, भावई।
- हरियाणा - झूमर, फाग, डाफ, धमाल, लूर, गुग्गा, खोर, जागोर।
- हिमाचल प्रदेश - झोरा, झाली, छारही, धामन, छापेली, महासू, नटी, डांगी।
- जम्मू और कश्मीर - रऊफ, हीकत, मंदजात, कूद डांडी नाच, दमाली।
- कर्नाटक - यक्षगान, हुट्टारी, सुग्गी, कुनीथा, करगा, लाम्बी।
- केरल - कथकली (शास्त्रीय), ओट्टम थुलाल, मोहिनीअट्टम, काईकोट्टिकली।
- महाराष्ट्र - लावणी, नकाटा, कोली, लेजिम, गाफा, दहीकला दसावतार या बोहादा।
- ओडीशा - ओडिसि (शास्त्रीय), सवारी, घूमरा, पैंरास मुनारी, छाउ।
- पश्चिम बंगाल - काठी, गंभीरा, ढाली, जतरा, बाउल, मरासिया, महाल, कीरतन।
- पंजाब - भांगड़ा, गिद्दा, दफ्फ, धामन, भांड, नकूला।
- राजस्थान - घूमर, चाकरी, गणगौर, झूलन लीला, झूमा, सुईसिनी, घपाल, कालबेलिया।
- तमिलनाडु - भरतनाट्यम, कुमी, कोलट्टम, कवाडी।
- उत्तर प्रदेश - नौटंकी, रासलीला, कजरी, झोरा, चाप्पेली, जैता।
- उत्तराखंड - गढ़वाली, कुंमायुनी, कजरी, रासलीला, छाप्पेली।
- गोवा - तरंगमेल, कोली, देक्खनी, फुग्दी, शिग्मो, घोडे, मोडनी, समायी नृत्य, जगर, रणमाले, गोंफ, टून्नया मेल।
- मध्यप्रदेश - जवारा, मटकी, अडा, खाड़ा नाच, फूलपति, ग्रिदा नृत्य, सालेलार्की, सेलाभडोनी, मंच।
- छत्तीसगढ़ - गौर मारिया, पैंथी, राउत नाच, पंडवाणी, वेडामती, कपालिक, भारथरी चरित्र, चंदनानी।
- झारखंड - अलकप, कर्मा मुंडा, अग्नि, झूमर, जनानी झूमर, मर्दाना झूमर, पैका, फगुआ, हूंटा नृत्य, मुंदारी नृत्य, सरहुल, बाराओ, झीटका, डांगा, डोमचक, घोरा नाच।
- अरुणाचल प्रदेश - बुईया, छालो, वांचो, पासी कोंगकी, पोनुंग, पोपीर, बारडो छाम।
- मणिपुर - डोल चोलम, थांग टा, लाई हाराओबा, पुंग चोलोम, खांबा थाईबी, नूपा नृत्य, रासलीला, खूबक इशेली, लोहू शाह।
- मेघालय - का शाद सुक मिनसेइम, नॉन्गरेम, लाहो।
- मिजोरम - छेरव नृत्य, खुल्लम, चैलम, स्वलाकिन, च्वांगलाईज्वान, जंगतालम, पर लाम, सरलामकई/ सोलाकिया, लंगलम।
- नागालैंड - रंगमा, बांस नृत्य, जीलैंग, सूईरोलियंस, गीथिंगलिम, तिमांगनेतिन, हेतलईयूली।
- त्रिपुरा - होजागिरी
- सिक्किम - छू फाट नृत्य, सिकमारी, सिंघई चाम या स्नो लायन डांस, याक छाम, डेनजोंग नेनहा, ताशी यांगकू नृत्य, खूखूरी नाच, चुटके नाच, मारूनी नाच।
- लक्ष्यद्वीप - लावा, कोलकाई, परीचाकली
समापन रूप में, भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत उसके लोक नृत्यों में सुंदरता से प्रकट होती है। ये नृत्य न केवल रंगीन गतिविधियों का एक जीवंत संग्रह प्रदर्शित करते हैं, बल्कि भारतीय जनता की भावनाओं, एकता और समृद्धि के शक्तिशाली प्रतीक के रूप में भी कार्य करते हैं। इन नृत्यों के रंगों, तालों और अभिव्यक्तियों के माध्यम से, ये नृत्य न केवल मनोरंजन करते हैं, बल्कि सामाजिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संदेशों को भी संवहनीय ढंग से प्रस्तुत करते हैं। इन्हें पीढ़ियों को जोड़ने, परंपराओं को संरक्षित करने और स्वाभिमान और सम्बन्ध की गहरी भावना को प्रेरित करने का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है।
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