भारत का संविधान दुनिया के सबसे व्यापक और विस्तृत संविधानों में से एक है, जिसमें कुल 448 लेख और 12 अनुसूचियां हैं। यह न केवल भारत सरकार के ढांचे को निर्धारित करता है बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों, राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों और राष्ट्र के प्रति नागरिकों के कर्तव्यों को भी स्थापित करता है।
भारत का संविधान लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और संघवाद के सिद्धांतों पर आधारित है। यह अपने सभी नागरिकों को उनकी जाति, पंथ, धर्म, लिंग या सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बावजूद समान अधिकार और अवसर प्रदान करता है। यह सरकार की तीन शाखाओं - विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच जाँच और संतुलन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए शक्तियों के पृथक्करण को भी सुनिश्चित करता है।
भारतीय संविधान की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक इसमें संशोधन का प्रावधान है। संविधान को अनुच्छेद 368 में निर्धारित एक विशेष प्रक्रिया द्वारा संशोधित किया जा सकता है। इस प्रावधान ने देश की बदलती जरूरतों के अनुरूप संविधान को संशोधित और अद्यतन करने की अनुमति दी है।
इसकी स्थापना के बाद से संविधान में 100 से अधिक बार संशोधन किया गया है। कुछ महत्वपूर्ण संशोधनों में जमींदारी प्रथा का उन्मूलन, पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत, सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों के लिए आरक्षण नीतियों का कार्यान्वयन, और नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को शामिल करना शामिल है।
भारतीय संविधान हमारे देश की सर्वोच्च विधान है, जिसमें नागरिकों के अधिकार और कर्तव्यों का विवरण शामिल है। इसे संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को स्वीकृत किया गया और 26 जनवरी 1950 को प्रभावी रूप से लागू हुआ। विभिन्न संशोधनों के माध्यम से, संविधान को समय-समय पर समायोजित करते रहा गया है, ताकि यह हमारे समय की आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुरूप बना रहे।
भारतीय संविधान के महत्त्वपूर्ण संशोधन
पहला संशोधन (1951) — इस संशोधन द्वारा नौवीं अनुसूची को शामिल किया गया।
दूसरा संशोधन (1952) — संसद में राज्यों के प्रतिनिधित्व को निर्धारित किया गया।
सातवां संशोधन (1956) — इस संशोधन द्वारा राज्यों का अ, ब, स और द वर्गों में विभाजन समाप्त कर उन्हें 14 राज्यों और 6 केंद्रशासित क्षेत्रों में विभक्त कर दिया गया।
दसवां संशोधन (1961) — दादरा और नगर हवेली को भारतीय संघ में शामिल कर उन्हें संघीय क्षेत्र की स्थिति प्रदान की गई।
12वां संशोधन (1962) — गोवा, दमन और दीव का भारतीय संघ में एकीकरण किया गया।
13वां संशोधन (1962) — संविधान में एक नया अनुच्छेद 371 (अ) जोड़ा गया, जिसमें नागालैंड के प्रशासन के लिए कुछ विशेष प्रावधान किए गए। 1 दिसंबर, 1963 को नागालैंड को एक राज्य की स्थिति प्रदान कर दी गई।
14वां संशोधन (1963) — पांडिचेरी को संघ राज्य क्षेत्र के रूप में प्रथम अनुसूची में जोड़ा गया तथा इन संघ राज्य क्षेत्रों (हिमाचल प्रदेश, गोवा, दमन और दीव, पांडिचेरी और मणिपुर) में विधानसभाओं की स्थापना की व्यवस्था की गई।
21वां संशोधन (1967) — आठवीं अनुसूची में ‘सिंधी’ भाषा को जोड़ा गया।
22वां संशोधन (1968) — संसद को मेघालय को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित करने तथा उसके लिए विधानमंडल और मंत्रिपरिषद का उपबंध करने की शक्ति प्रदान की गई।
24वां संशोधन (1971) — संसद को मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन का अधिकार दिया गया।
27वां संशोधन (1971) — उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र के पाँच राज्यों तत्कालीन असम, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर व त्रिपुरा तथा दो संघीय क्षेत्रों मिजोरम और अरुणालच प्रदेश का गठन किया गया तथा इनमें समन्वय और सहयोग के लिए एक ‘पूर्वोत्तर सीमांत परिषद्’ की स्थापना की गई।
31वां संशोधन (1974) — लोकसभा की अधिकतम सदंस्य संख्या 545 निश्चित की गई। इनमें से 543 निर्वाचित व 2 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होंगे।
36वां संशोधन (1975) — सिक्किम को भारतीय संघ में 22वें राज्य के रूप में प्रवेश दिया गया।
37वां संशोधन (1975) — अरुणाचल प्रदेश में व्यवस्थापिका तथा मंत्रिपरिषद् की स्थापना की गई।
42वां संशोधन (1976) — इसे ‘लघु संविधान’ (Mini Constitution) की संज्ञा प्रदान की गई है।
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